भारतीय साहित्य में हनुमान जी का विशेष स्थान है। हनुमान जी को वीर, भक्त, और देवता का रूप माना जाता है। उनकी महत्वपूर्ण कथाएं और कार्यों के बीच एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण भाग श्री हनुमान चालीसा है।
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॥ दोहा॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज
निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके
सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं
हरहु कलेस बिकार ॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥
राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी ॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुण्डल कुँचित केसा ॥४
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥
शंकर स्वयं/सुवन केसरी नंदन ।
तेज प्रताप महा जगवंदन ॥
बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ॥८
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचन्द्र के काज सँवारे ॥
लाय सजीवन लखन जियाए ।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना ।
लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥
दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥२०
राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रक्षक काहू को डरना ॥
आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हाँक तै काँपै ॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।
महावीर जब नाम सुनावै ॥२४
नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥
संकट तै हनुमान छुडावै ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥
सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिनके काज सकल तुम साजा ॥
और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८
चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥
साधु सन्त के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे ॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ॥
राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२
तुम्हरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई ।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥
और देवता चित्त ना धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६
जै जै जै हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥
जो सत बार पाठ कर कोई ।
छूटहि बंदि महा सुख होई ॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥४०
॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरन,
मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसहु सुर भूप ॥
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हनुमान चालीसा का पाठ करने से भक्ति में वृद्धि होती है। श्रद्धालु इसके माध्यम से अपने आदर्शों की ओर बढ़ते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।
हनुमान चालीसा के पाठ से शत्रुओं का नाश होता है। भक्त अपनी रक्षा के लिए हनुमान जी की कृपा प्राप्त करते हैं और उनके शत्रुओं का सामना करने में सफल होते हैं।
हनुमान चालीसा का आदित्य स्तोत्र भी कहा जाता है और इसका पाठ करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
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हनुमान चालीसा के पाठ से व्यक्ति आत्म-निर्भरता की प्राप्ति करते हैं। वे अपने कठिनाईयों का समाधान खुद निकालने की कला सीखते हैं और आत्म-विश्वास में वृद्धि होती है।
हनुमान चालीसा के पाठ से व्यक्ति कष्टों का निवारण कर सकते हैं। उन्हें अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढने में मदद मिलती है और उनका जीवन सुखमय बनता है।
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हनुमान चालीसा हमें यह सिखाती है कि भक्ति, श्रद्धा, और प्रेम से हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
इस आलेख में हमने देखा कि हनुमान चालीसा कैसे हमारे जीवन को सकारात्मक दिशा में परिवर्तित कर सकती है। यह भगवान हनुमान की महिमा और उनके भक्ति में छिपे रहस्यों का परिचय करवाती है।
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हनुमान चालीसा को नित्य पढ़ना शुभ होता है, लेकिन कम से कम एक बार पढ़ना भी उपयुक्त है।
हनुमान चालीसा केवल भक्ति के साथ ही नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार करने में मदद करती है।
हां, सुबह की प्रातःकाल में हनुमान चालीसा का पाठ करना अधिक शुभ होता है, लेकिन यदि आपके पास उस समय की स्वतंत्रता नहीं है, तो आप अन्य समय पर भी पढ़ सकते हैं।
नहीं, हनुमान चालीसा का पाठ किसी भी धार्मिक विचारधारा के व्यक्ति कर सकते हैं जो उनकी श्रद्धा में विश्वास रखते हैं।
हनुमान चालीसा के पाठ से भक्ति के साथ-साथ आत्म-निर्भरता, समस्या समाधान, और शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य में भी वृद्धि होती है।
हनुमान चालीसा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हनुमान जी के गुणों, कार्यों, और महत्व का परिचय देता है और भक्ति में वृद्धि करता है।
हां, हनुमान चालीसा के पाठ करने से भक्त को उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है।
हनुमान चालीसा के पाठ से भाग्य में सुधार हो सकता है क्योंकि यह भक्त की मेहनत और उनके प्रयासों को साफ़ करने में मदद करता है।
हां, हनुमान चालीसा के पाठ से मनोबल बढ़ता है क्योंकि यह भक्त को उत्साह देता है और उनके मानसिक स्थिति को सकारात्मक बनाता है।
नहीं, हनुमान चालीसा का पाठ सभी वर्गों के लोगों के लिए उपयुक्त है। यह भक्ति में वृद्धि करने के साथ-साथ शांति और सुख की प्राप्ति के लिए भी मदद करता है।
हनुमान चालीसा के पाठ से शत्रुता में कमी हो सकती है, क्योंकि यह भक्त को क्षमा करने और सहनशीलता बढ़ाने की शक्ति प्रदान करता है।
हां, हनुमान चालीसा के पाठ से विद्या में सफलता मिल सकती है क्योंकि यह भक्त को बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति में मदद करता है।
हां, हनुमान चालीसा के पाठ से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकती है क्योंकि यह भक्त को ताक़त और स्वस्थ जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान करता है।
हां, हनुमान चालीसा के पाठ से संयम और आत्म-नियंत्रण में सुधार हो सकता है क्योंकि यह भक्त को सहयोग प्रदान करता है अपनी इच्छाशक्ति को कंट्रोल करने में।
हां, हनुमान चालीसा के पाठ से संतान सुख में सुधार हो सकता है क्योंकि यह भक्त की प्रार्थनाओं को सुनने और पूरी करने की क्षमता प्रदान करता है।
हां, हनुमान चालीसा के पाठ से मन की शांति और चिंता का समाधान हो सकता है क्योंकि यह भक्त को उनके चिंताओं से मुक्ति प्रदान करता है।
हां, हनुमान चालीसा के पाठ से सपनों में उत्तराधिकारी होने की संभावना होती है, क्योंकि यह भक्त के मन को शुद्ध करके उनके अच्छे सपनों को प्राप्त करने में मदद करता है।
हां, हनुमान चालीसा के पाठ से आत्मा का साक्षात्कार हो सकता है क्योंकि यह भक्त को अपनी आत्मा के गहरे अर्थ को समझने में मदद करता है।
हां, हनुमान चालीसा के पाठ से समाज में उच्च स्थान प्राप्त हो सकता है क्योंकि यह भक्त को कार्यशीलता और सामाजिक समर्पण की भावना प्रदान करता है।
हां, हनुमान चालीसा के पाठ से व्यक्ति की मानसिक शक्ति बढ़ सकती है क्योंकि यह भक्त को स्वयं की ऊर्जा को पुनर्जीवन देने की क्षमता प्रदान करता है।
अब जल्दी से हाथ में राम नाम लो और सुख-शांति पाओ!
जय बजरंग बली!