आरती हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पूजा रिवाज है, जिसमें देवी-देवताओं की पूजा करते समय विशेष भक्ति और श्रद्धा का आदान-प्रदान होता है। श्री बालाजी की आरती भक्तों के दिलों में एक अलग स्थान रखती है, क्योंकि हनुमानजी हिन्दू धर्म के प्रमुख देवता में से एक हैं और उनकी आरती का अद्भुत महत्व है।
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ॐ जय हनुमत वीरा,
स्वामी जय हनुमत वीरा ।
संकट मोचन स्वामी,
तुम हो रनधीरा ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
पवन पुत्र अंजनी सूत,
महिमा अति भारी ।
दुःख दरिद्र मिटाओ,
संकट सब हारी ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
बाल समय में तुमने,
रवि को भक्ष लियो ।
देवन स्तुति किन्ही,
तुरतहिं छोड़ दियो ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
कपि सुग्रीव राम संग,
मैत्री करवाई।
अभिमानी बलि मेटयो,
कीर्ति रही छाई ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
जारि लंक सिय-सुधि ले आए,
वानर हर्षाये ।
कारज कठिन सुधारे,
रघुबर मन भाये ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
शक्ति लगी लक्ष्मण को,
भारी सोच भयो ।
लाय संजीवन बूटी,
दुःख सब दूर कियो ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
रामहि ले अहिरावण,
जब पाताल गयो ।
ताहि मारी प्रभु लाय,
जय जयकार भयो ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
राजत मेहंदीपुर में,
दर्शन सुखकारी ।
मंगल और शनिश्चर,
मेला है जारी ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
श्री बालाजी की आरती,
जो कोई नर गावे ।
कहत इन्द्र हर्षित,
मनवांछित फल पावे ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
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हनुमानजी को साकार रूप में पूजने का विशेष महत्व है क्योंकि वे भक्तों के प्रेमभाव से प्रेरित होकर उनकी समस्याओं का समाधान करते हैं। उनकी आरती में विशेष भावनाओं के साथ उनकी पूजा की जाती है, जो भक्तों के मनोबल को बढ़ाती है और उन्हें नई ऊंचाइयों तक पहुँचने में सहायक होती है।
श्री बालाजी की आरती का आयोजन प्रतिदिन किया जाता है, लेकिन शनिवार के दिन इसका विशेष महत्व होता है। इस दिन भक्तों द्वारा आरती के प्रति उनकी श्रद्धा और विशेष प्रेम का प्रकटीकरण होता है।
श्री बालाजी की आरती का उच्चारण करते समय भक्त विशेष भावनाओं में लिपट जाते हैं। आरती के प्रति उनकी श्रद्धा और भक्ति का परिणाम है कि वे भगवान हनुमान के साकार रूप को अपनी आँखों में देख पाते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
श्री बालाजी की आरती का उच्चारण करने से भक्तों के मन में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का आभास होता है। यह उनके मानसिक स्थिति को सुधारकर उन्हें जीवन में नई सकारात्मकता प्रदान करता है।
श्री बालाजी की आरती के साथ सांगीतिक उपस्थिति भक्तों के दिलों को छूने का काम करती है। आरती के संगीत को सुनकर भक्तों का मन प्रसन्न हो जाता है और उन्हें एक ऊँचे स्थान की प्राप्ति होती है।
श्री बालाजी की आरती का पाठ करने से न केवल भक्तों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि उन्हें दुर्भाग्य और कष्टों से मुक्ति भी प्राप्त होती है।
श्री बालाजी की आरती का नियमित अद्भुत फायदे होते हैं, जैसे कि:
श्री बालाजी की आरती के पाठ से भक्तों की आध्यात्मिकता में वृद्धि होती है और उनका संकटों से समर्थन मिलता है। यह आरती भक्तों के दिलों में दिव्य प्रेम की भावना को जगाती है और उन्हें आध्यात्मिक सफलता की ओर अग्रसर करती है।
बालाजी की आरती को दिन में कम से कम एक बार करना चाहिए, लेकिन अधिकांश भक्त उन्हें प्रतिदिन दो या तीन बार करते हैं।
हनुमत बालाजी की आरती का पाठ सुबह और शाम के समय करना अधिक शुभ होता है।
शनिवार को बालाजी की आरती का उच्चारण करने से विशेष फल मिलता है, क्योंकि शनिवार हनुमानजी के प्रिय दिन माना जाता है।
आरती के बाद भक्तों को प्रार्थना और ध्यान में बने रहना चाहिए, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके।
जी हां, भक्ति और श्रद्धा के साथ बालाजी की आरती के पाठ से किसी की मनोकामना पूरी हो सकती है।
इस प्रकार, हमने देखा कि श्री हनुमत बालाजी की आरती का महत्व क्या है और यह कैसे भक्तों के जीवन में पौराणिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।